दो दिल मिल जाये , मुमकिन हैं
हो चाहत जितनी , प्यार मिले उतना
अक्सर ऐसा होता नहीं हैं ।
थोड़ा सा ज्यादा , थोड़ा सा कम -
प्यार कभी बस पुरा होता नहीं हैं ।
दो मंजिल मिल जाये , मुमकिन हैं
राहें हो एक और साथ चले हरदम
अक्सर ऐसा होता नहीं हैं ।
थोड़ा सा आगे , थोडा सा पीछे -
साथ हो बस सीधा होता नहीं हैं ।
- अमर
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