Sunday, January 27, 2013

एक था हाथी     नाम था उसका मोटू    ।
एक थी चींटी     नाम था उसका छोटू    ।
एक था कुत्ता   नाम था उसका लम्बू   ।
एक थी बिल्ली नाम था उसका पतलू  ।

 मोटू ,   छोटू ,     लम्बू,     पतलू      चारों   चले     बाज़ार   रे ।
बाज़ार    में      चारो     ने ,जम    के   खाये    लडू  हज़ार  रे ।

हु हु हु हा हा हा रे ।

दुकानदार   ने   बिल    दे ,  बोला   करना    न    इनकार   रे ।
छोटू , लम्बू,  पतलू तीनो जोरे पैसे बोले ये लो हज़ार रे ।

हु हु हु हा हा हा रे ।


इतने में  मोटू   डगमगाया , जोर  से  छिका तीन बार रे   ।
छोटू , लम्बू,   पतलू    तीनो   जा   पहुंचे   दूसरे  बाज़ार   रे   ।

हु हु हु हा हा हा रे ।


दुकानदार गुस्साया बोले मोटू निकाल मेरे पैसे प्यार से ।
मोटू   हाथी   दुम  दबा     भागा   बोल  मैं    तो  कंगाल   रे  ।
हु हु हु हा हा हा रे ।

                                               - अमर




Saturday, January 19, 2013

वजूद


तेरे ख्वाबों में कई सुराख हो गए थे -
झाँक के देखा तो एक जिंदगी नज़र आई
जलती रही थी जो रिश्ते के अलाव पे बरसो से  ।

मेरे वजूद का बस्ता कमरे के एक कोने में पड़े थे
मैं जाने कब की खो गयी,
बस तुम ही तुम रह गए थे ।

तेरे सपनो के बादल ने दी थी
मुझको तिरागी कि पोशाक
पहन उसे समझोतों संग हो चली थी ।

बरसो बाद आज तेरी सपने टूटने लगे
मंजिल का भी ठिकाना न रहा
देख मेरी ओर लगायी तुमने उम्मीद कि आस ।

थमा हैं तेरा हाथ या दी अपनी  सांसो को नयी हवा
सवाल दिल पूछता रहेगा
पर जाने क्यों  बाहर कि धूप अच्छी लगी  ।
  - अमर