चाँद छुप जा बैठा आज , छत पे जो निकले हो तुम
खिल रही हैं तेरी चाँदनी , छा रहे हो तुम
ये रात एक गज़ल सी , गा रहे हो तुम ।
हजारों इश्क वाले हो रहे हैं पैदा आज
बालो की सफेदी क्या , दिल हो रहे हैं ज़वा आज
मदहोश सब , होश में लाने कि हर कोशिश नाकाम |
चाँद छुप जा बैठा आज , छत पे जो निकले हो तुम
खिल रही हैं तेरी चाँदनी , छा रहे हो तुम
ये रात एक गज़ल सी , गा रहे हो तुम ।
कोई हैं रहा हैं तेरी खूबसूरती का कायल
कोई हो रहा हैं तेरी आवाज में मशगूल
चर्चा बस तेरी , हर जुबान हैं बेलगाम
चाँद छुप जा बैठा आज , छत पे जो निकले हो तुम
खिल रही हैं तेरी चाँदनी , छा रहे हो तुम
ये रात एक गज़ल सी , गा रहे हो तुम ।
- अमर
खिल रही हैं तेरी चाँदनी , छा रहे हो तुम
ये रात एक गज़ल सी , गा रहे हो तुम ।
हजारों इश्क वाले हो रहे हैं पैदा आज
बालो की सफेदी क्या , दिल हो रहे हैं ज़वा आज
मदहोश सब , होश में लाने कि हर कोशिश नाकाम |
चाँद छुप जा बैठा आज , छत पे जो निकले हो तुम
खिल रही हैं तेरी चाँदनी , छा रहे हो तुम
ये रात एक गज़ल सी , गा रहे हो तुम ।
कोई हैं रहा हैं तेरी खूबसूरती का कायल
कोई हो रहा हैं तेरी आवाज में मशगूल
चर्चा बस तेरी , हर जुबान हैं बेलगाम
चाँद छुप जा बैठा आज , छत पे जो निकले हो तुम
खिल रही हैं तेरी चाँदनी , छा रहे हो तुम
ये रात एक गज़ल सी , गा रहे हो तुम ।
- अमर
1 comment:
lovely poem...check out mine at www.thinkndshare.blogspot.com
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