बिन मौसम कि बरसात
आ थामा तुमने हाथ ।
आँखों में था गुस्सा
बन बैठा हैं प्यार ।
ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।
बरसो खेले हम आँख मिचोली -
आँखों से जितने दूर जाते थे तुम
दिल के उतने करीब आते थे तुम ।
ये गुस्सा , ये नखरा था इंतज़ार जताना ।
ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।
बिन मौसम कि बरसात
आ थामा तुमने हाथ ।
आँखों में था गुस्सा
बन बैठा हैं प्यार ।
ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।
आँखों का था आँखों से मिलना बस
बह जाउंगी अब -
संग तेरे जाने कितनी दूर ।
ज़माने का डर
संग तेरे जाउंगी अब भूल ।
ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।
बिन मौसम कि बरसात
आ थामा तुमने हाथ ।
आँखों में था गुस्सा
बन बैठा हैं प्यार ।
ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।
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