Friday, June 28, 2013

रात की बात

रात   की  बात  थी
बात की   रात   थी
जो  भी  कहो  तुम  
भूल न पायेंगे हम ।

प्यार  हैं  ,प्यार को नाम न दो तो किया
प्यार   तो   प्यार   ही   रहेगा       सदा ।

जमाना       से       डरते         हो
 ओ             मेरी               जाना
 प्यार लेकिन जिंदा रखना पिया

जमाना  न  देखेगा  दिल हमारा
दिल  में  रखना   तस्वीर  हमारी
याद   आएगी    उम्र   भर    मेरी   ।
*
पल    की  बात  थी
ख्वाब का हाथ   था
जो  भी  कहो  तुम  
भूल न पायेंगे हम ।


ख्वाब था , ख्वाब को नाम न दो तो किया
पल  वो   तो  जिन्दा   ही   रहेगा      सदा ।


बन्धनों     में       बंधी      हो
ओ          मेरी              जाना
यकीन    रखना लेकिन पिया
 बाँहों मेरी  खुली  रहेगी   सदा
ज़माने का डर ,मिट जाये जब
आ    जाना    बांहों   मैं    मेरी ।
 
रात   की  बात  थी
बात की   रात   थी
जो  भी  कहो  तुम
भूल न पायेंगे हम ।

Saturday, June 22, 2013

बिन मौसम कि बरसात



बिन मौसम कि बरसात
आ थामा तुमने हाथ ।
आँखों में था गुस्सा
बन बैठा हैं प्यार ।

ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।

बरसो  खेले हम आँख मिचोली -
आँखों से जितने दूर जाते थे तुम
दिल के उतने करीब आते थे तुम ।
ये गुस्सा , ये नखरा था इंतज़ार जताना ।

ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।


बिन मौसम कि बरसात
आ थामा तुमने हाथ ।
आँखों में था गुस्सा
बन बैठा हैं प्यार ।

ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।

आँखों का था आँखों से   मिलना बस  
बह जाउंगी अब -
संग तेरे जाने कितनी दूर ।
ज़माने का डर
संग तेरे जाउंगी अब भूल ।

ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।

बिन मौसम कि बरसात
आ थामा तुमने हाथ ।
आँखों में था गुस्सा
बन बैठा हैं प्यार ।

ओ रबा ! बेसबर क्यों किया हैं इतना ।

Sunday, June 9, 2013

दो दिल , दो मंजिल

  
दो दिल मिल जाये , मुमकिन हैं
 हो चाहत जितनी , प्यार मिले उतना
अक्सर ऐसा होता नहीं हैं ।
 थोड़ा सा ज्यादा , थोड़ा सा कम -
प्यार कभी बस पुरा  होता नहीं हैं ।

दो मंजिल मिल जाये , मुमकिन हैं
राहें हो एक और साथ चले हरदम
अक्सर ऐसा होता नहीं हैं ।
थोड़ा सा आगे , थोडा सा पीछे -
साथ हो बस सीधा होता नहीं हैं ।
                                    - अमर