तेरे किताब का एक पन्ना
उड़ आया मेरे अंगना
जाना कितनी मोहब्त करते हो साजना ।
हो न जाये इजहारे मोहब्त , प्यार छुपाये रखा
बरसो तक निगाहे ओ जुबां को दबाये रखा ।
खुदा भी न देख सका अपनी बेबसी
मिटा दी पल भर में सारी दूरी ।
जो काम न कर सके कई मुलाकाते
हवा के एक झोंका ने कर दिखाये ।
तेरे किताब का एक पन्ना
उड़ आया मेरे अंगना
जाना, कितनी मोहब्त करते हो साजना ।
शब्दों में पिरोये होंगे प्यार को
शायद ही इतनी खूबसूरती से कोई ।
मैं पढ़ता चला गया , खोता चला गया
तेरे ख्याल का कायल होता चला गया ।
अफ़सोस क्यों छुपाये रखा था आपना प्यार
टूटे जायेगा अब हमारा सारा इंतज़ार ।
तेरे किताब का एक पन्ना
उड़ आया मेरे अंगना
जाना, कितनी मोहब्त करते हो साजना ।
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