वे जंग भी बहुत ख़ूबसूरत होते हैं
दुश्मनों के दिल में जब ईमान बरसते हो ।
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खर्च दिए ख्याल सारे
दुसरो की ज़िंदगी संभालने में
उधार ढूंढ़ता हु सोच अब
अपनी ज़िंदगी संवारने को ।
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ज़िंदगी का सफर भी खूब रहा
जिस किनारे को मंज़िल समझ उतरा
मालूम हुआ मेरी ज़िंदगी यही से शुरू हुई थी ।
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