Sunday, September 27, 2015


वे  जंग  भी  बहुत    ख़ूबसूरत    होते   हैं 
दुश्मनों के दिल में जब ईमान बरसते हो  । 

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खर्च दिए       ख्याल सारे
      दुसरो की ज़िंदगी संभालने में 
उधार ढूंढ़ता हु सोच अब  
     अपनी   ज़िंदगी    संवारने को  । 

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ज़िंदगी का सफर भी खूब रहा 
जिस किनारे को मंज़िल समझ उतरा 
मालूम हुआ मेरी ज़िंदगी यही से शुरू हुई थी । 



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