Tuesday, June 10, 2008

Meri Ek Kavita

हे राम ! मैं अधर्मी पापी

देता हू तुम्हे ललकार

आ सको तो आओ इस धरा पे

फिर एक बार

सत्य कि माला लिए

विजय कि आशा लिए

करने धर्मं का कल्याण

आ सको तो आओ इस धरा पे

फिर एक बार

हे राम !

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