Milta Rahunga Khawabo Main
Sunday, January 1, 2017
बहती हो हवा जिस ओर
ढूंढना न मेरा ठिकाना उस ओर
विपरीत ही चलता चला हु
हर बंधन को तोड़ -
नई सोच बुनता चला हु ।
- अमर
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