Milta Rahunga Khawabo Main
Saturday, March 28, 2015
?
मत कर बदनाम इतना की नाम न होने लगे
उनकी जगह तेरी नीयत पे शक न होने लगे ।
- अमर
Sunday, March 1, 2015
मिलता नहीं कोई यहाँ अपनी मज़हब का
दे दे ख़ुदा थोड़ी सी जमी घर बसाने को ।
हज़ारों निगाहों का शिकार हु मैं
मेरी लहू में अपनी किस्मत देख बैठे हैं वे ।
जाने कितने रंगो मैं रंग रखा हैं मुझको
मालूम नहीं मगर उनको मैं तो बस बेरंग हु ।
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)