ऐ ज़िंदगी , मुड़ के देख ले एक बार जरा
बरसों के गीले शिकवे पल में दूर हो जायेंगे !
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फुरसत के ख्याल दिल में भरने लगी हें आहें
पैबंद लग जा आँखों में , वक़्त थम जा तू जरा !
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झूठी हँसी होंठो पे , कुतरे हुए शब्द जुबां पे
यकीन मान , शुकून मिला खुद को देख आईने में !
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आज शाम खोल रखा हैं घर के सारे दरवाजे
बिन दस्तक आ जाना , पलटने हैं पुराने कई पन्ने !
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