Saturday, April 9, 2011

खुद को मिटा रहे एतबार नहीं आता हैं |

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उन्मादक तूफ़ान को देख रहा
बढ़ते अपनी ओर !
उम्मीद एक -
बक्श दे शायद मुझको
ले बस चपेट मैं अपने
खड़े जो संग मेरे !

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भीड़ मैं खोया हू
पर अपनी शख्शियत को भुला न पाया हू |
खो चूका हू खुद को
पर एतबार नहीं कर पाया हू |
लगता हैं मुझको
मैं अलग हू |
'मैं अलग ' का अहम्
देते मुझको -
तूफ़ान से बचने को भरम |

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एक दिन भरम टूटेगा ,
तूफ़ान कि आगोस मैं खुद को घिरा पाउँगा !
एक आखरी सवाल जेहन में आएगा
ऐ खुदा , मुझे क्यों नहीं बक्शा -
देख लेते मेरे अच्छे कर्मो को सिला ?
हल्की हंसी संग बोलेगा खुदा -
इस तूफ़ान मैं मेरा हाथ न था
ये तो तेरे अच्छे कर्मो को ही सिला था |

Sunday, April 3, 2011

तेरी बाहों मैं

तेरी बाहों मैं मरने को भी
हम जीना कहेंगे |

उम्र भर सम्हाले रखा हैं
इस दिल मैं प्यार तेरे लिए ,
मिले अगर आखरी सांसो संग
उस प्यार को नाम तो क्या -
लोग उसे अमर प्रेम कहेंगे !

तेरी बाहों मैं मरने को भी
हम जीना कहेंगे |

Thursday, March 24, 2011

वक़्त का तकाजा

sabdo ko jor lafjah bane hamne
unki har barikyon ko parakh
tarif ke kaside bandhe hamne
par waqt ka takaja na raha
Baya ki izazaat mangne gaye
par unka thikana na mila